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ऋषव, 5 वर्ष का बच्चा है, जिसे एम्स, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद नेत्र विज्ञान केंद्र में प्राइमरी कंजेनिटल ग्लूकोमा (PCG) रोग का निदान किया गया है। यह एक गंभीर नेत्र रोग है जो बच्चों में तब होता है जब आँख की प्राकृतिक जल निकासी प्रणाली सही तरीके से विकसित नहीं होती। इसके कारण आँख के भीतर का तरल (एक्वस ह्यूमर) बाहर नहीं निकल पाता और आँख का दबाव (Intraocular Pressure/IOP) बढ़ जाता है। लंबे समय तक दबाव बढ़े रहने से ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुँचता है, जो आँख से दिमाग तक देखने के संकेत भेजती है। यदि समय पर इलाज न हो, तो यह स्थिति स्थायी दृष्टि हानि या अंधेपन का कारण बन सकती है।
डॉक्टरों ने बताया कि ऋषव की आँखों में बुप्थैल्मस (Buphthalmos) के लक्षण हैं, अर्थात आँखें सामान्य से बड़ी हो गई हैं, जो लंबे समय से बढ़े दबाव की वजह से हुआ है। हालाँकि जाँच के समय उनका आँख का दबाव दवाओं से नियंत्रित पाया गया, लेकिन यह केवल अस्थायी है। वर्तमान में दी गई दवाइयाँ, जैसे डॉरज़ॉक्स टी और पाइलोकार, तरल उत्पादन को कम करके दबाव घटाती हैं, परंतु यह स्थायी इलाज नहीं है।
डॉक्टरों ने ऋषव के लिए ट्रैबेक्युलेक्टॉमी सर्जरी (Trabeculectomy) विद माइटोमाइसिन-सी (MMC) करने की सलाह दी है। इस ऑपरेशन से आँख में एक नया मार्ग बनाया जाता है जिससे तरल बाहर निकल सके और दबाव नियंत्रित रहे। बच्चों में इस रोग का सबसे प्रभावी और स्थायी उपचार यही सर्जरी है, क्योंकि केवल दवाइयों से यह नियंत्रित नहीं हो सकता।
सर्जरी के बाद ऋषव को नियमित जांच और कभी-कभी दवाइयों की भी आवश्यकता पड़ सकती है। समय पर ऑपरेशन कराने से उनकी दृष्टि सुरक्षित रखी जा सकती है और अंधेपन से बचाव संभव है।
डॉक्टरों ने बताया कि ऋषव की आँखों में बुप्थैल्मस (Buphthalmos) के लक्षण हैं, अर्थात आँखें सामान्य से बड़ी हो गई हैं, जो लंबे समय से बढ़े दबाव की वजह से हुआ है। हालाँकि जाँच के समय उनका आँख का दबाव दवाओं से नियंत्रित पाया गया, लेकिन यह केवल अस्थायी है। वर्तमान में दी गई दवाइयाँ, जैसे डॉरज़ॉक्स टी और पाइलोकार, तरल उत्पादन को कम करके दबाव घटाती हैं, परंतु यह स्थायी इलाज नहीं है।
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